Chanakya Niti चाणक्य नीति – व्यवहार कुशल बनें
सकुले योजयेत्कन्या पुत्रं पुत्रं विद्यासु योजयेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रु मित्रं धर्मे नियोजयेत् ॥
यहां आचार्य चाणक्य व्यावहारिकता की चर्चा करते हुए कहते हैं कि कन्या का विवाह किसी अच्छे घर में करना चाहिए, पुत्र को पढ़ाई-लिखाई में लगा देना चाहिए, मित्र को अच्छे कार्यों में तथा शत्रु को बुराइयों में लगा देना चाहिए। यही व्यावहारिकता है और समय की मांग भी।
आशय यह है कि कुशल व्यक्ति वही है, जो बेटी के विवाह योग्य होते ही उसका विवाह देख-भालकर किसी अच्छे खानदान में कर दे और बेटे को अधिक-से-अधिक शिक्षा दे। ताकि वह अपने जीवन में आजीविका की दृष्टि से आत्मनिर्भर बन सके।
मित्र को मेहनत-परिश्रम, ईमानदारी की सीख दे ताकि सद्परामर्श से वह अपना जीवन सुधार सके और किसी अच्छे काम में लग जाए, किन्तु दुश्मन को बुरी आदतों का शिकार बना दे ताकि वह उसमें उलझकर आपको अनावश्यक रूप से तंग न कर सकें।
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हेल्लो Guys, हमारे इस ब्लॉग में आपका स्वागत है, मेरा नाम रक्तिम बरुआ है। मैं एक प्रोफेशनल फुल टाइम ब्लॉगर हूँ और मैं Drawing भी करता हूँ(प्रोफेशनल आर्टिस्ट)। तो दोस्तों इस थॉट इन हिंदी ब्लॉग में मैं आप को मोटिवेशनल स्पीच, पर्सनालिटी डेवलपमेंट टिप्स, एसइओ टिप्स, मैडिटेशन गाइड, बुक समरी, आध्यात्मिक विचार, बिज़नेस गाइड, कोट्स, प्रोफेशनल ब्लॉग्गिंग गाइड, स्वास्थ टिप्स, और कुछ टेक्नोलॉजी के बारे में हिंदी में बताता रहता हूँ, जो मुझे पता होता वही बताता हूँ आपको, और मेरा यही मकसद है की लोग एक ही जगह पर बहुत सारे ज्ञान को हासिल कर सके। धन्यवाद।