विषय - सूची
Lord Krishna Quotes On Love in Hindi. Hello दोस्तों, आज मैं भगवान श्री कृष्ण की कही हुई कुछ बातें, जिसमें उन्होंने प्रेम के बारे में विस्तार में बताते हुए क्या कुछ बातें हमें सीखाया है वो सब आप जानेंगे इस आर्टिकल में। प्रेम क्या है और प्रेम के बारे Expression कैसे जानेंगे ऐसे कुछ 3 सवालों का जवाब जान पाएंगे आप। ये Lord Krishna Quotes On Love in Hindi आपको बताएगा प्रेम का असल मतलब ताकि आप love के बारे किसी confusion में ना रहें। तो पूरा कोट्स जरूर पढ़े –
भगवान श्री कृष्ण की प्रेम के बारे में ये बातें जानिए – Lord Krishna Quotes On Love in hindi
Expression of Love –
संसार में हर स्थान पर ये व्यापर व्याप्त होता है, कुछ पाने के लिए कुछ देना होता है। लाभ पाने के लिए निवेश करना होता है।
यदि किसी के भाव जाननी हो तो स्वयं की भावनाओं को व्यय करना ही होता है।
अब देखिये ना, किसी का वास्तविक आचरण जानना हो तो उसे स्वतंत्रता दे दो।
यदि किसी के मन के शुद्धता जाननी हो तो उसे ऋण दे दो।
यदि किसी के गुण जाननी हो तो उसके साथ भोजन करने का समय दे दो।
यदि किसी का धैर्य जानना हो तो उसे उसके प्रिय कार्य करने से मना करके देखो।
यदि किसी की अच्छाई जाननी है तो उससे सलाह ले लो।
हर भाव के बदले कोई भाव देना ही होगा। किन्तु संसार में एकमात्र ऐसा एक भाव है जिसे देखने के लिए, जिसे पाने के लिए बदले में आपको वही भाव देना होगा और वो भाव है प्रेम।
यदि किसी का प्रेम देखना है तो उसे निस्वार्थ प्रेम दीजिये।
यदि किसी से प्रेम पाना है तो उसे निस्वार्थ परिशुद्ध प्रेम दीजिये। बदले में आपको भी प्रेम ही मिलेगा।
What is Love? Lord Krishna Quotes On Love in Hindi
प्रेम – प्रेम क्या है सभी जानते है! सामान्य रूप से ये प्रेम आकर्षण से प्रारम्भ होता है और इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस प्रेम का लक्ष्य क्या है! जिसे आपने प्रेम किया उसे पा लेना या ना पाने के कारण स्वयं को विचलित कर इस संसार से मुँह मोड़ लेना ! यदि कोई इन दोनों विकल्पों में से कोई एक चुनता है तो आपको बता दूँ ये दोनों ही प्रेम का अंत है।
प्रेम का असली अर्थ है समर्पण, सम्पूर्ण निस्वार्थ समर्पण।
ऐसा प्रेम, जिसमें जिनसे आपने प्रेम किया उसको पाने कि प्रसन्नता आपका लक्ष्य नहीं, जिनसे आपने प्रेम किया उसे प्रसन्न करना आपका लक्ष्य हो। ऐसा प्रेम ईश्वर के समान है, किन्तु यदि इस प्रेम में पूर्णतः समर्पण नहीं होंगे, तो इस प्रेम में एक आकार नहीं हो पाओगे। कित्नु यदि इस प्रेम में स्वयं को पूर्णतः समर्पित कर दिया तो समझो इसी प्रेम में आप ईश्वर को पाओगे।
प्रेम इस संसार में किसे नहीं भांता ! हर किसी ने प्रेम का अनुभव किया ही है। हर कोई जानता है ये प्रेम कितना सुन्दर है। क्यों है ना ?
ये प्रेम भाव इस संसार में सबसे शक्तिशाली भाव है। अब हर शक्ति में आते हैं कुछ उत्तरदायित्व। अब जैसे ही उत्तरदायित्व हमारे जीवन में आते हैं हम सर्वप्रथम प्रेम को ही भूल जाते हैं। और हमें ये प्रेम ये बोझ लगने लगता है। किन्तु संसार का सत्य तो यही है हर प्रसन्नता के साथ उत्तरदायित्व आएंगे ही, जिसका पालन हमें करना ही होगा।
अब यदि मैं आपको उदाहरण दूँ आपके बगीचे में आप चाहते है एक सुन्दर सा पुष्पों से भरा वृक्ष आये। तो सर्वप्रथम उसके लिए आपको जल और धुप का आयोजन करना होगा, उसके जोड़ो पर दीमक ना लगे ये आपको सुनिश्चित करना होगा। उसके आसपास उगे खरपतवार वो आपको हटानी होगी उसी के पश्चात वो आपके उस बगीचे में वो सुन्दर पुष्पों से भरा वृक्ष आएगा।
उसी प्रकार होता है प्रेम भी। सर्वप्रथम आपको इसमें समर्पण का खाद जल डालना होगा। और संदेह इसकी खरपतवार आपको हटानी होगी और विश्वास कि ये जड़े कभी ना दुर्वल पड़े ये आपको सुनिश्चित करना होगा। उसी के पश्चात प्रेम का वास्तविक सुख आप अनुभव कर पाएंगे
How to Understand Love?
हमारे आस-पास जो वृक्ष है, जो पौधे, जो पुष्प है देख रहे हैं आप। कितना सुन्दर है ना ! क्यूंकि आपने इन्हें देखा है। इसी प्रकार जब प्रेम कि बात आती है लोग किसी का मुख स्मरण कर लेते हैं।
ऐसी आंखे, वैसी मुस्कान, घने केश, ऐसी भौं, वैसी होठ; पर क्या यही प्रेम का अस्तित्व है ! नहीं।
ये उस शरीर का अस्तित्व है जिसे हमारी आँखों ने देखा और हमने स्वीकार कर लिया, परंतु प्रेम भिन्न है। प्रेम उस वायु भांति है जो हमें दिखाई नहीं देता। किन्तु वही हमें जीवन देता है। संसार किसी स्त्री को कुरूप कह सकता है, क्यूंकि वो उसको अपनी तन कि आँखों से देखता है।
परन्तु संतान उसी माता को संसार में सबसे सुंदर समझते हैं। क्यूंकि भाव से जुड़े हैं। तन कि आँखों से देखोगे तो वैसे भी पहचान नहीं पाओगे जैसे मईया राधा भगवान श्री कृष्ण को पहचान नहीं पाई। इसलिए यदि प्रेम को समझना है तो मन कि आँखे खोलिये।