नकारात्मकता नाश

एक बार महात्मा बुद्ध एक गाँव में पहुंचे। उस गाँव में ज्यादातर लोग शराबी और जुआरी थे।

महात्मा बुद्ध ने वहां उनको उपदेश देना शुरू किया।

वो कहने लगे – “बुराई का उत्तर, बुराई से नहीं दिया जाता। बुराई से बुराई समाप्त नहीं होती और अधिक बढ़ जाती है, पापी के साथ पापी मत बनो। क्यूंकि कीचड़ को कीचड़ से साफ नहीं करते। बुराई को केवल अच्छाई ही मिटा सकती है।”

अब वहां बैठा हुआ एक व्यक्ति महात्मा बुद्ध की ये सारी बातें सुन रहा था।

जब प्रवचन खत्म हो गया तो वो आदमी महात्मा बुद्ध के पास आकर बोलता है – “अरे ओ, पाखंडी, तुम यहाँ पाखंड फ़ैलाने क्यूँ चले आये, तुम्हें लगता है, तुम्हारी इन बातों से कोई फर्क पड़ने वाला है, कोई भी सुनने वाला है ?”

महात्मा बुद्ध ने बड़ी ही शांति से कहा “तुम्हें कुछ और कहना है ?”

उसने बोला क्यूँ नहीं कहेंगे ?

उनसे फिर से बोलना शुरू कर दिया – “तुम ढोंगी हो, झूठे हो, पाखंडी हो !”

महात्मा बुद्ध ने कहा “मैंने तुम्हारी सारी बातें सुनी, अब तुम मेरी भी कुछ बातें सुन लो !”

महात्मा बुद्ध ने बोलना शुरू किया – “यदि तुम्हारे पास एक रोटी है और वो तुम मुझे देना चाहते हो, मगर मैं लेना नहीं चाहता, तो वो रोटी किसके पास रहेगी ?”

उस आदमी ने कहा कि ये सीधी सी बात भी नहीं पता, बेशक वो मेरे पास रहेगी।

महात्मा बुद्ध ने फिर से कहा “तुमने ठीक बताया, अब तुमने मुझे जितने भी अपशब्द कहे, वो मैंने नहीं लिये, तो अब वो अपशब्द किसके पास रह गए ?”

वो आदमी समझ गया कि महात्मा बुद्ध क्या कहना चाहते हैं !

और वो आदमी, महात्मा बुद्ध के सामने नतमस्तक हो गए।

दोस्तों दुनिया हमें बहुत कुछ कहते हैं, चाहे वो बुराइयाँ हों, अपशब्द हो, पर वो महत्व तब रखता है, जब आप उसे अपने अंदर ग्रहण कर लेंगे। नकारात्मकता नाश तभी होंगे जब उसे आप accept नहीं करेंगे।

अगर आप उसे ग्रहण नहीं करते हैं, चाहे बुराइयां हों या अच्छाइयां ही क्यों न हों, तो वो उसी व्यक्ति के पास रह जाता है, जो इसे जाने-अनजाने फैलाना चाहता है।

आपने उस बुराई को अपने पास आने ही नहीं दिया। तो नकारात्मकता अपने आप ही खत्म हो गयी ना!

अगली बार जब भी कोई आपसे अपशब्द कहे, तो महात्मा बुद्ध की इस कहानी को जरूर याद करें।

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