111 Panchatantra Short Stories in Hindi with Moral

सपनों का संसार

सोमशर्मा भिक्षा मांगकर जीवनयापन करता था। खाने से बचा हुआ अन्न वह एक मिट्टी के घड़े में डालकर खूँटी पर टांग दिया करता था। उसका घड़ा पूरा भर गया था। मन ही मन अपने इस संचय पर वह अत्यंत प्रसन्न होता था। एक दिन वह घड़े के नीचे पड़ी खाट पर बैठा तो उसकी आँख लग गई और उसने स्वप्न देखना शुरु किया, “एक दिन यह घड़ा भर जाएगा। अगर अकाल पड़ा तो मुझे इस अनाज को बेचकर अच्छा धन मिलेगा। उससे मैं गाय का जोड़ा खरीदूंगा। दूध बेचकर धन कमाऊँगा। फिर मैं भैंस खरीदूंगा, फिर घोड़े और तब मेरे पास बहुत सारा धन इकट्ठा हो जाएगा। फिर मैं एक धनवान की कन्या से विवाह करूँगा। उससे मेरे बच्चे होंगे। वे बड़े होंगे, घुटनों चलने लगेंगे। वे मेरे काम में मुझे परेशान करेंगे तब मैं उनकी छड़ी से पिटाई करूँगा।” यह कहकर स्वप्न में ही उसने छड़ी उठाई और जोर से घुमाया। छड़ी सीधी मिट्टी के घड़े में जा लगी।

सीख: हवाई किले नहीं बनाना चाहिए।

चतुर बाघ

किसी जंगल में एक बाघ रहता था। एक दिन उसे जंगल में तालाब के किनारे सोने का एक कंगन मिला। उसने उस कंगन की सहायता से शिकार पकड़ने का निश्चय किया। तालाब के दूसरी ओर उसने एक व्यक्ति को जाते देखा। उसे देखते ही बाघ के मुँह में पानी आ गया। बाघ को एक युक्ति सूझी। वह जानता था कि मनुष्य लोभी होता है। उसने उस व्यक्ति को सोने का कंगन दिखाते हुए कहा कि इसे वह दान देना चाहता था। व्यक्ति ने विश्वास नहीं किया। धूर्त बाघ ने कहा कि बुढ़ापे के कारण उसके दाँत तथा पंजे धाररहित हो गये थे। वह दान देकर पापों का प्रायश्चित्त करना चाहता था। वह तालाब में नहाकर कंगन ले ले। ज्योंही वह व्यक्ति नहाने के लिए तालाब में गया बाघ ने उसे उछलकर दबोच लिया। उस व्यक्ति को समझ आ गया था कि लोभ में आकर बाघ पर भरोसा करना उसकी बहुत बड़ी भूल थी।

सीख: लोभ सदा विनाश का कारण बनता है।

चक्रधारी

चार व्यक्ति धन कमाने के उद्देश्य से निकले। एक दिन उनकी मुलाकात एक साधु से हुई। उसने उन सभी को एक-एक पंख
देकर हिमालय की ओर जाने के लिए कहा। साथ ही कहा कि जिसका पंख जहाँ गिरेगा उसे वहीं पर धन मिलेगा। पहले व्यक्ति को तांबे के सिक्के मिले तथा दूसरे को चांदी के। तीसरे व्यक्ति को सोने के सिक्के मिले। जिसे उसने अपने चौथे साथी के साथ बाँटना चाहा। पर उसने यह कहकर मना कर दिया कि उसका पंख उसे अवश्य हीरे दिलवाएगा। चलते-चलते उसे प्यास लगी। उसने एक व्यक्ति को देखा जिसके सिर पर एक चक्र घूम रहा था। उससे उसने पानी के लिए पूछा। तुरंत ही वह घूमता हुआ चक्र चौथे व्यक्ति के सिर पर आ गया। यह पूछने पर कि यह कब मुझे छोड़ेगा उस व्यक्ति ने कहा जब कोई पंख लेकर आएगा और पानी के लिए पूछेगा।

सीख: लालच बुरी बला।

नेवला और साँप

एक दंपती ने एक नेवला पाल रखा था। सभी उसका ख्याल रखते थे। घर की मालकिन ने एक पुत्र को जन्म दिया। पुत्र मोह के कारण वह डरने लगी कि नेवली कहीं उसके पुत्र का अहित न कर दे। एक दिन वह नदी पर पानी भरने गई थी। घर पर बच्चा अकेला ही सोया हुआ था। तभी एक सर्प रेंगता हुआ आया और बच्चे की ओर बढ़ने लगा। नेवले ने उसे देख लिया और उस पर हमला कर दिया। फिर वह बाहर खड़े होकर अपनी मालकिन की प्रतीक्षा करने लगा। मालकिन ने घर पहुँचते ही नेवले के मुँह में खून लगा देखा। उसने सोचा हो न हो नेवले ने मेरे पुत्र को मार डाला होगा। अंधे क्रोध में उसने जल से भरा घड़ा नेवले पर पटक दिया। नेवला घायल हो गया और दुःखी होकर चला गया। भीतर उसका पुत्र सोया हुआ था और साँप मरा पड़ा था… यह देखकर उसे अपनी भूल का अहसास हुआ।

सीख: आवेश में लिए गए निर्णय से पछतावा होता है।

गधे की मूर्खता

एक घायल शेर का विश्वासपात्र सेवक ‘सियार’ अपने मालिक के भोजन के लिए शिकार ढूँढने निकला। ढूँढते ढूँढते उसे एक गधा मिला।उसने गधे को ऐसी जगह ले जाने का वादा किया जहाँ ढेर सारी हरी-हरी घास और मीठा पानी था पर वह गधे को शेर की मांद में ले गया। शेर गधे को देखकर उस पर झपटा पर उसे पकड़ नहीं पाया। गधा जान बचाकर भाग गया। सियार उसे ढूँढता हुआ फिर उसके पास गया। इस बार सियार ने कहा, “वहाँ तो गधी थी और वह तुम्हारे प्यार में पागल हो गई है। वह तुमसे मिलना चाहती है।” मूर्ख गधे ने सियार की बात पर विश्वास कर लिया। ज्योंही वह मांद में पहुँचा शेर उस पर झपटा पर घायल होने के कारण चूक गया। गधा भागा और फिर कभी लौटकर नहीं आया।

सीख: अपनी गलती को दोहराने की भूल नहीं करनी चाहिए।

मूर्ख नाई

एक ईमानदार व्यापारी अपना धन खोकर बहुत दु:खी था। एक रात उसे स्वप्न में एक साधु ने वरदान देते हुए कहा कि वह कल
सुबह उसके घर आएगा। उसने व्यापारी से उसके सिर पर मारने के लिए कहा जिससे वह सोने का बन जाएगा। अगली सुबह उसके घर एक नाई आया और फिर तुरंत बाद एक साधु आया। व्यापारी ने देखा कि यह वही साधु था जिसे उसने स्वप्न में देखा था। उसने साधु के सिर पर डंडा मारा और वह सचमुच स्वर्ण का बन गया। नाई ने यह देखकर सोचा कि साधु को जब भी सिर पर मारा जाए तो वह सोने का बन जाएगा। अगले दिन नाई ने कुछ साधुओं को अपने घर बुलाया और उनके सिर पर डंडा मारने लगा। साधुओं की चीख पुकार सुनकर उधर से जा रहे सिपाहियों ने उन्हें बचाया। मूर्ख नाई को सजा मिली।

सीख: नकल के लिए भी अक्ल चाहिए।

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