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Panchatantra Story in Hindi – Hello दोस्तों, मुझे पता है कि आपको हमारा पंचतंत्र की कहानियां सीरीज पसंद आ रहा है, तो आज मैंने फिर से आपके लिए एक नए पंचतंत्र की कहानी संग्रह करके लेके आया हूँ, इसे पढ़के आप सीखेंगे कि दूसरों के काम में टांग नहीं अड़ानी चाहिए। उम्मीद करता हूँ आज का यह स्टोरी भी आपको बहुत पसंद आएगा। और कुछ नया सीखने को मिलेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं –
Panchatantra Story in Hindi – बंदर और कील
बहुत समय पहले एक जंगल में एक बड़े से आम के वृक्ष पर बंदरों का एक झुंड रहता था। उन झुंड में से एक बंदर जिज्ञासु और बहुत शरारती था। उसे नई नई चीजों के साथ खेलने में बहुत मजा आता था। और वह उस झुण्ड में सबसे अलग तरीके की प्राणी था।
एक बार पास के ही गांव में एक मंदिर के निर्माण का कार्य चल रहा था। दोपहर के समय सभी गांव वाले जो मंदिर निर्माण के कार्य में लगे हुए थे वह दोपहर का भोजन ग्रहण करने के घर गए हुए थे, तभी बंदर का झुण्ड वहाँ आ गए।
और शरारती बंदर भी वहां आ पहुंचा और उसने आरी से आधे कटे हुए लट्ठे में कील फंसा हुआ देखा। क्यूंकि उसके लिए यह अजीब था तो उसने सोचा, “कील को निकालकर देखता हूँ क्या होता है…”
उस शरारती बंदर ने किसी तरह लट्ठे को हिला-हिलाकर कील को निकाल दिया। जबकि बाकि बंदर की झुंड को इससे कोई लेना-देना नहीं था।
कील निकलने से लटठों के बीच की जगह बंद हो गई और उस शरारती बंदर का पैर वही बीच में ही फँस गया। और यह हुआ सिर्फ उसकी शरारतों की वजह से। वह लहूलुहान होकर दर्द से वह कराहने लगा।
तभी अन्य साथी उसके पास आ पहुंचे और उन साथी बंदरों की सहायता से किसी तरह बड़ी कठिनाई से उसने अपना पैर बाहर निकाल तो लिया पर वह बुरी तरह घायल हो गया था।
सीख: दूसरों के काम में टांग नहीं अड़ानी चाहिए।
Conclusion
तो इसलिए कहते हैं शरारत ठीक नहीं हैं, वह आपको प्रॉब्लम में फसाती है हमेशा।
दोस्तों इसलिए कभी भी शरारत नहीं करनी चाहिए, हाँ जिज्ञासु एक हद तक ठीक है, लेकिन वह भी हद से ज्यादा होने पर हानि ही पहुंचाती है।
जैसे क्या जरूरत थी उस बंदर को उस कील को निकालने की? वह बंदर हम ही हैं, जो बने बनाये काम को अपने जिज्ञासु के कारण नष्ट कर देते हैं।
जहाँ झुण्ड में कई बन्दर थे, उनमें से किसी को उस लट्ठे की कील का कोई लेना-देना नहीं है तो उस को क्यों लेना-देना है? जैसे क्रिकेट का एक्साम्प्ल लेते हैं – प्लेयर ग्राउंड में खेलते हैं और ऑडियंस अपने घर बैठ कर यह कहते हैं कि यह बॉल उसे इस तरह से खेलना चाहिए। तो भाई क्यों? तेरेको क्या लेना-देना है उसमें? तू बस एन्जॉय कर!
इस तरह से हम उस बन्दर की तरह हर चीज में टांग अड़ाते हैं, जबकि ज्यादातर चीजों में या परिस्थिति में हमें कुछ लेना-देना ही नहीं है, फिर भी हम अपना शरारत नहीं छोड़ते। जैसे वर्ल्ड कप क्रिकेट के कुछ खेल में इंडिया में कुछ ऑडियंस को अपनी टांग अड़ाने की चक्कर में हार्ट अटैक के कारण जान गवाना पड़ा।
तो आप समझ ही गए होंगे कि हमें हर चीज में जिज्ञासु होने की या टांग अड़ाने की जरुरत नहीं है।
तो दोस्तों आपको आज के यह पंचतंत्र स्टोरी से क्या सीखने को मिला?
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