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तो अगर आपको जीवन की सभी दुःखों का कारण पता चल जाये तो आप आपकी जीवन में सभी तरह की दुःख को overcome कर सकते है। ये दुःख भी आपकी personality है और इसको overcome करना बहुत जरुरी है, तो आपको ये article पूरा पढ़ना होगा।
Personality Development in Hindi
No 1 – मनुष्य के दुख के 3 कारण है –
- मन से जुड़ी हुई
जैसा बहार की परिस्थितियों को हम अनुभव करते हैं अनुकूल प्रतिकूल उसके अनुसार हम सुखी और दुखी अनुभव करते हैं।
जब तक विवेक बुद्धि नहीं है तब तक हम दुखी सुखी होते रहते हैं परिस्थितियों से व्यक्तियों से।
- दूसरा दुख का कारण है शरीर का दुख
शरीर में रोग आएगा तो पीड़ा होती है।
- तीसरा दुख का कारण है संबंधों का दुख
जहां हमने जितना गहरा संबंध जुड़ा है वहां उतना दुख हमें प्राप्त होता है। क्योंकि संसार से जब भी संबंध जुड़ेंगे तो निश्चित हमें दुख प्राप्त होगा।
यहां सब सुख की आशा में सुख की तलाश में भटक रहे हैं और उन व्यक्तियों से हम सुख की आशा लगाते हैं, ना हमारे पास सुख है ना जिनके हमने संबंध जुड़ा उनके पास सुख है।
जब एक दुखी व्यक्ति दूसरे दुखी व्यक्तियों से संबंध जोड़ता है तो वहां दुख और अंधकार का जन्म होता है।
संबंध वहां जुड़े जहां आनंद की वर्षा हो, संबंध वहां जोड़े जो हमारे साथ निभाए।
No 2 – Story : Personality Development

” एक संत थे वृंदावन में जिन्होंने संसार के सारे संबंध छोड़कर सिर्फ भगवान से ही संबंध से जोड़ लिया, की एक भगवान ही मेरे अपने हैं, बाकी किसी से मेरा कोई संबंध नहीं है।
वे हमेशा भगवान का भजन – कीर्तन करते थे। एक दिन उनकी कुटिया के पास एक वेश्या आके रहने लगी, उसके कारण वहां कई लोगों का आना जाना होता था,
उसकी वजह से उन संत के भजन में बहुत बाधा होने लगी, उसके कारण वो वेश्या के पास आए और कहने लगे कि – ”बहन तू कहीं और जाकर बस जा, यहां तेरे रहने से मेरे भजन में बड़ा समस्या होती है।”
यह सुनकर वह लड़ने लगी कि – ”मैं कहीं और क्यों जाऊं? मैं यही रहूंगी, तुम्हें जहां जाना है चले जाओ।”
वह संत बोले मेरी उम्र बहुत बड़ी है और अब मैं कहां जाऊंगा? वो बोली मैं नहीं जानती, आप कहीं भी जाओ, लेकिन मैं कहीं नहीं जाने वाली, यही रहूंगी मैं,
संत सीधे – साधे थे वो चुप – चाप वहा से चले आये, लेकिन वेश्या की मन में ये डर होने लगा की कही ऐसा ना हो की संत अपने शिस्य से कहे और मुझे यहाँ से दूर भगा दे।
तो जो वेश्या के मित्र थे उसने अपने मित्रों से कहा की ये जो पास में संत रहता है ये बहुत तंग करता है मुझे, बहुत परेशान करता रहता है,
वो सब भी वेश्या की बातों में आकर उन्होंने पूछा की बताओ क्या करना है उसका, वो वेश्या बोली की इस संत की कुटिया में आग लगा दो, इसकी कुटिया जल जाएगी तो ये अपने आप यहाँ से चला जायेगा और मैं यहाँ सुख से रहूंगी।
एक दिन उसके मित्रों ने योजना बना के उस संत की कुटिया में आग लगाने की कोशिश की, परन्तु उस महात्मा संत के साथ भगवान थे।
करिश्मा ऐसा हुआ की वो आग संत की कुटिया में ना लगके उस वेश्या के घर में लग गयी, उसके घर जलने लगा, वो बाहर आके चिल्लाने लगी और संत से झगड़ने लगी की तुमने मेरे घर में आग लगायी है, बहुत छोड़ मसाने लगी।
संत भले थे उन्होंने कहा की ना तूने आग लगायी है, ना मैंने आग लगायी है, तो हमारे यारो ने अपनी यारी निभाई है, तेरे यारो ने, तेरे मित्रों ने मेरे घर जलाने की कोशिश की, मगर मेरे जो मित्र है उसने तेरे घर में आग लगा दी। ”
संसार के जो संबंध है वो चाहा के भी हमारा साथ नहीं निभा सकते, वो चाह के भी हमारा दुःख दूर नहीं कर सकते।
अरे भाई यहाँ कोई अपना दुःख दूर नहीं कर सकता तो आपका कहा से करेगा, आपको कहा सुख दे पायेगा।
दुःख दूर करना तो दूर की बात, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिलता जो हमारे मन की व्यथा को समझे, क्यूंकि सब का मन भटक रहा है अंधकार में।
आपका जो मन बना है ना वो दुनिया के लिए नहीं बना, भगवान कृष्ण जी कहते है – ” अपना मन और बुद्धि तू मुझे लगा, मुझे समर्पित कर दे, अपना मन और बुद्धि यदि तू मुझ में लगा देगा तो तू मुझ में ही निवास करेगा। ”
No 3 – आपके मन : Personality Development
मन ये दुनिया में लगाने के लिए नहीं बना, आपके मन की किसी को जरुरत नहीं पड़ी, आपके तन की, आपके धन की सबको जरुरत है, परन्तु आपके मन की जरुरत सिर्फ परमात्मा को है।
जब आप अपना मन उनमें लगा देते है, वो जितना भी संसार के दुःख है चाहे आपके तन के हो, चाहे आपके मन के हो, चाहे आपके संबंधो के हो, सारे दुखो से आप मुक्त हो जाते है।
आप यदि ध्यान देंगे अपनी जीवन की तरफ, तो आपके दुःख का कारण वही लोग है जहा आप सबसे ज्यादा मन की आसक्ति जोड़के बैठे है।
No 4 – सुख कहा मिलेगा : Personality Development
संसार से सुख की आशा करेंगे तो दुःख निश्चित मिलेगा, लोग दुःख उठाने की बात करते है, संसार के लोग बड़ी आशाये देते है की कोई भी दुःख हो हम आपके साथ है,
लोग दुःख उठाने की बात करते है, लोग आने-जाने की बात करते है, अरे हाथ मिलाने ठीक से जानते नहीं और दिल मिलाने की बात करते है।
कभी भी संबंध जोड़ना हो तो भगवान से जोड़ो, जो आपका दिल है वो संसार से जोड़ने के लिए बना ही नहीं है, यदि आप उसे संसार वालो को दे देंगे, जोड़ देंगे, तो निश्चित सब आपके ह्रदय को ठुकरा देंगे।
क्यूंकि वो अपना दिल कही और लेके घुमाते है, यदि आप चाहते है की आपके जीवन में आनंद, प्रेम, प्रसन्नता बनी रहे तो अपने दिल को भगवान से जोड़ लीजिये।
इसका मतलब ये भी नहीं है भगवान से कुछ ना कुछ मांगते रहो, इसका मतलब है अपने दिल से जुड़ो, अपने आपसे जुड़ो, संसार की सभी सुख मिलेंगी आपको,

No 5 – खुश रहना सीखो : Personality Development
अगर आप खुश रहना सीख जाये दुःख में भी तो आपको खुश होने से कोई नहीं रोक सकता, ये दुःख सिर्फ एक thoughts है, बीमार हो तो देखो बीमार कैसा और कैसे होता है।
मन में शांति रखो, भगवान के ऊपर विश्वास रखो दिल से, लोग कहते है में भगवान को बहुत मानता हूँ, लेकिन वे मानते नहीं है कुछ ना कुछ मांगते ही रहते है,
इसलिए उनको कुछ नहीं मिलता, आप भगवान को दिल से मानने लगो तो देखना आपको जो चाहिए जितना चाहिए उसे कोई अधिक मिलेगा, बस अपनी मन में शांति और धीरज रखना होगा आपको।
इस संसार में ऐसे कोई इंसान नहीं है जिन्होंने भगवान से कुछ माँगा और उसको एक second में मिल गया, भगवान उसको ही देता है जिसमें मन की शांति है, दिल में प्यार, भक्ति है, हमेशा भगवान को मानते है उसको प्यार करते, ना की उसको मांगते है।
तो विश्वास रखो आपको सफलता, सुख और शांति जरूर मिलेंगी। ये अपने आप में इस संसार के लोगो का एक personality है। तो इसको मतलब मैंने जो कुछ बताया है उसको develop करो।
तो दोस्तों अगर आपको आज हमारा यह article (Personality Development in Hindi – दुःख और पीड़ाओं से कैसे छूटें) अच्छा लगा तो आप इस article को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।