Short Panchatantra Ki Kahani – गड़ेरिया

Short Panchatantra Ki Kahani – गड़ेरिया

दूर किसी गाँव में एक गड़ेरिया रहता था। वह प्रतिदिन अपनी भेड़ों को पहाड़ की तलहटी में चराने ले जाता था।

जब भेड़ें चरने लगती थीं तब बैठे-बैठे उसे अकेलापन और ऊबन सताती थी। क्योंकि दिनभर उनके पास करने के लिए और कुछ भी नहीं होता था। भेड़ें तो अपने आप चरते थे।

उस गड़ेरिया को समझ नहीं आता था कि वह दिनभर क्या करे।

एक दिन उसे एक शरारत सूझी, क्योंकि उसके पास करने के लिए कुछ भी था तो वह ज़ोर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने, “भेड़िया आया, भेड़िया आया” तभी उसकी पुकार सुनकर गाँववाले भागे चले आए।

तब उसने कहा, “बुद्धू बनाया, बुद्धू बनाया, बड़ा मज़ा आया” और गाँववालों को देखते हुए हँसने लगा।

गाँव वालों को बहुत क्रोध आया। गाँववाले ग़ुस्से से वहाँ से चुपचाप वापस चले गए।

लेकिन इस शरारत पर गड़ेरिए को बहुत मजा आया। कुछ दिन ऐसा उसने फिर से और ऐसे उसने कई बार गाँववालों के साथ मज़ाक़ किया।

तभी कुछ महीने बाद एक दिन सच में भेड़िए ने भेड़ों पर हमला कर दिया।

तब सहायता के लिए
गड़ेरिया चिल्लाने लगा, लेकिन इस बार कोई गाँव वाला नहीं आया, क्योंकि गाँववालों को लगा की गड़ेरिया इस बार भी उनके साथ मज़ाक़ ही कर रहे होंगे।

अब असहाय गड़ेरिया देखता ही रह गया और भेड़िया भेड़ों को लेकर चला गया।

अपनी मूर्खता पर गड़ेरिया बहुत पछताया और खाली हाथ अपने घर वापस लौटा। उस दिन से उसने क़सम खाया कि आज के बाद कभी किसी को झूठ बोलकर मूर्ख नहीं बनायेंगे।

अगर उस गड़ेरिये ने गाँववालों के साथ मज़ाक़ नहीं किया होता तो उसका सभी भेड़ उसके पास ही रहता, जब उसके भेड़ों पर भेड़िये ने हमला किया तो गाँववालों को सच में बुलाने पर उसकी सहायता करने के लिए ज़रूर आता, लेकिन उसके गाँववालों के साथ शरारत की और उसका नतीजा उसको भुगतना पड़ा।

सिख: झूठ बोलने वालों पर कोई विश्वास नहीं करता है।

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