The 8th Habit Book Summary in Hindi – अपने अंदर की आवाज को पहचानें

The 8th Habit Book Summary in Hindi – द एट्थ हैबिट (The 8th Habit) में हम देखेंगे कि किस तरह से हम अपने अंदर की आवाज को सुनकर अपने अंदर की क्रीएटीविटि को बाहर ला सकते हैं। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम अपने बिजनेस को आगे ले जा सकते हैं या अपनी नौकरी में सफलता पा सकते हैं। यह किताब मैनेजर, लीडर और कर्मचारी सबके लिए उपयोगी साबित होगी।

क्या आप कोशिश करने पर भी कामयाबी हासिल नहीं कर पा रहे हैं, क्या आप अपने कर्मचारियों के अंदर की क्रीएटीविटि को बाहर लाना चाहते हैं, क्या आप अपनी कंपनी को आगे ले जाना चाहते हैं तो ये बुक आपके लिए है।

लेखक

स्टीफेन आर कोवे (Stephen R. Covey) अमेरिका के एक लेखक, बिजनेसमैन और स्पीकर थे। वे लोगों को शिक्षा देते थे। उन्होंने बहुत सी किताबें लिखीं हैं जिसमें से उनकी अब तक की सबसे प्रसिद्ध किताब है – 7 हैबिट्स आफ हाइली इफेक्टिव पीपल (7 Habits of Highly Effective People ) । उनकी मौत 16 जुलाई 2012 को हुई। अपनी मौत से पहले वे जॉन एम स्कूल आफ बिजनेस के प्रोफेसर थे।

The 8th Habit Book Summary in Hindi – अपने अंदर की आवाज को पहचानें

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?

हम में से हर कोई सोचता है कि काश वो भी दूसरों की तरह कामयाबी हासिल कर सकता। कुछ लोगों का मानना है कि वे चाहे कितनी भी कोशिश क्यों ना कर लें उन्हें नतीजे कभी अच्छे नहीं मिलते। अगर आपके साथ ऐसा है तो आपको 8वीं आदत अपनाने की जरूरत है।

अपने अन्दर की आवाज को सुनना और उसके हिसाब से काम करना ही 8वीं आदत है। अगर आप दूसरों के हिसाब से काम करते हैं तो आप अपनी जरूरतों और अपने काम करने के तरीके के बारे नहीं जान पाएंगे। यही वजह है कि आप बार बार नाकामयाब हो रहे हैं।

यह किताब आपको बताती है कि किस तरह से आप अपने अंदर की आवाज को सुन सकते हैं और कैसे अपने आप को कामयाब बना सकते हैं। इसकी मदद से आप अपने कर्मचारियों को उनके अन्दर की आवाज सुनने के लिए भी बढ़ावा दे सकते हैं।

  • किस तरह से आप अपनी आजादी और अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • किस तरह से आप दूसरों का भरोसा जीत सकते हैं।
  • किस तरह आप अपने कर्मचारियों से बेहतर तरीके से काम करवा सकते हैं।

नए वक्त में पुराने तरीके अपनाना ही हारने का कारण है।

अक्सर लोग बहुत मेहनत करने के बाद भी हार जाया करते हैं। वे इसके लिए किस्मत को दोष देते हैं और सोचते हैं कि सफलता उनके लिए नहीं बनाई गई है। ऐसे में दोष ना तो सफलता का है ना ही उनकी किस्मत का । दोष उनके काम करने के तरीके का है।

आज हम इंफॉर्मेशन की दुनिया में जी रहे हैं। इस दुनिया में बहुत तेजी से बदलाव आ रहे हैं। जो लोग इस जमाने में नए आइडियाज़ ले कर आ रहे हैं वे सफल हो रहे हैं। लेकिन जो लोग पुराने तरीके अपना रहे हैं वे हमेशा ही नाकामयाब होते हैं।

इंफॉर्मेशन की दुनिया इंडस्ट्री की दुनिया की वारिस है। यहाँ अगर आप अपने अन्दर की काबिलियत बाहर न लाकर किसी दूसरे के तरीके से हिसाब से या किसी पुराने तरीके के हिसाब से काम करेंगे तो आप असफल हो जाएंगे। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने अन्दर की क्रीएटीविटि को बाहर लाएँ।

अगर आप कामयाब होना चाहते हैं तो आपको अपने अंदर की आवाज सुननी होगी। इसके अलावा आपको अपने कर्मचारियों के अंदर की क्रीएटीविटि को भी बाहर लाने की कोशिश करनी होगी।

आप जरूर चाहते होंगे कि आपका बिजनेस आसमान छूए। इसी तरह से आपके कर्मचारी भी चाहते हैं कि वे अपने काम में माहिर बनें और सफल हों। इसके लिए आपको उन्हें बढ़ावा देना होगा। आपको उनके अन्दर की आवाज को जगा कर उन्हें जागने पर और मेहनत से काम करने के लिए उकसाना होगा। इसके लिए आप उन्हें प्रेरणा दीजिए। उनके साथ अच्छा व्यवहार कीजिए जिससे उन्हें लगे कि उनका कुछ महत्व है। इससे वे अपने उस महत्व को बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

हम सभी के पास आजादी है जो शायद हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

कुछ लोग अपने रोज के काम और अपनी जरूरतों में इतने उलझे हुए हैं कि वे भूल जाते हैं कि उनके पास आजादी की ताकत है। उनके पास हर वो काम करने की आजादी है जो कानूनी तौर पर सही है। लेकिन फिर भी कुछ लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जिससे उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है।

हम अपने हालात को काबू नहीं कर सकते लेकिन बुरे हालात में हम ये फैसला कर सकते हैं कि हमें क्या करना है। अगर कोई आप से बड़ा है और आप से बदत्मीजी कर रहा है तो आप उसके खिलाफ कुछ कर सकते हैं। अगर आप हिम्मत करें तो आप कुछ भी कर सकते हैं। वो हिम्मत आपके अन्दर छुपी हुई है और आप उसे बाहर लाने के लिए आजाद हैं।

आजादी के अलावा हमें बुद्धि नाम की एक और ताकत मिली है जिसका इस्तेमाल हम पूरी तरह से नहीं कर रहे हैं। आजादी एक हद तक सीमित है लेकिन बुद्धि की कोई सीमा नहीं है। आप इसे बढ़ा सकते हैं। आइए हम देखें कि बुद्धि कितनी प्रकार की होती है :

  • फिज़िकल इंटेलिजेंस हमारे शरीर के उन कामों से ताल्लुक रखता है जो हमारे ध्यान दिए बगैर भी होते रहते हैं। इसका एक एक्ज़ाम्पल है हमारा चलना।
  • मेंटल इंटेलिजेंस हमारे सोचने समझने की क्षमता से मतलब रखता है। इसकी मदद से हम अपने आस पास की चीज़ों और लोगों को समझ सकते हैं।
  • ईमोशनल इंटेलिजेंस की मदद से हम सामने वाले की भावनाओं को समझ कर उसके हिसाब से काम कर पाते हैं। इससे हम नए दोस्त बना कर उनसे अच्छे से बात कर पाते हैं।
  • स्पिरिचुअल इंटेलिजेंस दूसरी सारी इंटेलिजेंसेस की जड़ है। अगर आपकी आत्मा और आपकी इच्छा शक्ति मजबूत है तो आप आसानी से कोई भी काम कर सकते हैं या कोई भी नया काम सीख सकते हैं। यही वह इंटेलिजेंस है जिसकी मदद से हम अपने अन्दर की आवाज को सुन पाते हैं।

अगर आप अच्छे लीडर बनना चाहते हैं तो आपको अपने कर्मचारियों के अंदर की आवाज को जगाना होगा।

स्कूल के दिनों में हम सभी का सामना कुछ ऐसे टीचर से हुआ होगा जो स्टूडेंट्स को अपने काबू में रखने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे टीचर्स से भी आपकी जान पहचान हुई होगी जो अपने बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करते थे और उन सभी को प्यारे थे।

मैनेजर और लीडर भी कुछ इसी तरह के होते हैं। कुछ मैनेजर अपने कर्मचारियों को काबू करने की कोशिश करते हैं और कुछ उन्हें काबिल बनाने की। अगर आप एक अच्छा लीडर बनना चाहते हैं तो आपको अपने कर्मचारियों को काबिल बनाने की कोशिश करनी होगी। इसके लिए आपको नीचे दिए गए चार काम करने होंगे।

सबसे पहले आपको सोचना होगा कि आपको अपने कर्मचारियों को जगाने के लिए और सही दिशा में लाने के लिए क्या करना होगा। फिर आप उस काम को सबसे पहले खुद कीजिए और उन्हें एक एक्ज़ाम्पल दीजिए जिससे वे आपकी तरह बनने की कोशिश करें। इसके बाद आप उनमें समय समय पर जोश भरते रहिए जिससे वे अनुशासन में रह सकें और अपना काम बेहतरी से कर सकें। अंत में आपको अपने कंपनी के सभी हिस्सों को काबू करना होगा।

इसके अलावा पको अपनी कंपनी के अन्दर उन चार इंटेलिजेंसेस को भी डालना होगा। आप अपनी कंपनी को एक व्यक्ति मान कर चलिए जिसके पास एक शरीर है और उस शरीर के पूरी तरह से काम करने के लिए उसका हर एक भाग पूरी तरह से ठीक होना चाहिए।

अगर आपके शरीर और आपके दिमाग के बीच का संबंध अच्छा नहीं होगा तो आप चाह कर भी अपने शरीर से अपने मन का काम नहीं करवा पाएंगे। ठीक उसी तरह अगर आपकी कंपनी के दो हिस्सों के बीच अच्छे संबंध नहीं होंगे तो पूरी कंपनी को इसकी कीमत चुकानी होगी। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने कर्मचारियों को एक दूसरे से बात करने के लिए उकसाएँ।

हालात के बदलने का इंतजार मत कीजिए, उसे बदलने की कोशिश कीजिए।

घर में छुप कर बारिश थम जाने का इंतजार करना जिन्दगी नहीं है। भीगने का मजा लेकर अपने काम पर जाना जिन्दगी है। मुश्किलें हर वक्त आपके साथ रहेंगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने घर में छुप कर बुरे वक्त के गुजरने का इंतजार करें। आप हालात को काबू नहीं कर सकते पर अपने हालात को बदलने की कोशिश कर सकते हैं।

सबसे पहले आपको अपने काम की जिम्मेदारी उठानी होगी। आपको यह तय करना होगा कि चाहे कुछ भी हो आप वह काम करेंगे और अपने रास्ते में आने वाली हर मुश्किल से निपटने की कोशिश करेंगे। कभी कभी ऐसा हो सकता है कि आप बेसहारा और कमजोर महसूस करें लेकिन उस हालात में भी आप कुछ ना कुछ जरूर कर सकते हैं।

मान लीजिए कि आपके बॉस आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं। आप अपनी नौकरी से हाथ नहीं धोना चाहते इसलिए आप उनके खराब व्यवहार के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। लेकिन इसके अलावा आप सीधे जा कर उनसे बात कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी जिम्मेदारी उठानी होगी। आपको यह समझना होगा कि आपके पास हर वो ताकत है जिससे आप अपने हालात को बदल सकते हैं।

लेकिन कभी कभी हालात हमारे काबू में बिल्कुल नहीं रहते और हम उन्हें सुधारने के लिए कुछ कर भी नहीं पाते। ऐसे में आपके पास आजादी है कि आप अपना हौसला टूटने ना दें। मुश्किल वक्त से गुजरने के बाद आप और भी ताकतवर हो जाएंगे। लेकिन अगर आप हार मान लेंगे तो आप जहाँ हैं वहीं रह जाएंगे और कभी अपने हालात को नहीं बदल पाएंगे।

अपने काम में कामयाबी हासिल करने के लिए आपको लोगों का भरोसा जीतना होगा।

कामयाबी हासिल करने के लिए जितना जरूरी आपका हुनर है उतना ही जरूरी दूसरों से आपके संबंध हैं। अगर आप दूसरों का भरोसा नहीं जीत पाएंगे तो आप शायद ही कामयाब हो सकें। सबसे पहले आपको दूसरों का भरोसा जीतना आना चाहिए।

इसके लिए सबसे पहले आपके अपने वादों को पूरा करना होगा। अगर आप किसी से कोई काम कने के लिए कहते हैं तो कोशिश कीजिए कि आप अपने काम से उसे खुश कर सकें। जब आप किसी से वादा करते हैं तो आप उसके अन्दर एक आशा जगाते हैं और जब आप वादा पूरा करते हैं तो आप उसका भरोसा जीत जाते हैं।

इसके बाद आप शब्दों का इस्तेमाल करना सीखिए। आपको यह पता होना चाहिए कि कब आपको थैंक्यु कहना है या कब प्लीज़ कहना है। इससे लोग आपके बारे में अच्छा सोचेंगे। इसके अलावा आपको माफी मांगना भी आना चाहिए। अगर आप से अनजाने में कोई भूल हो जाती है तो माफी मांगने से वो खोया हुआ विश्वास कुछ हद तक लौट आता।

लेकिन आपको भी दूसरों पर भरोसा करना होगा। अगर आप दूसरों पर भरोसा करेंगे तो उनकी काबिलियत पर भरोसा करेंगे और उनकी कामयाबी के लिए उनको मुबारकबाद देंगे। इससे वे भी आप पर भरोसा करने लगेंगे। भरोसे से आप अपने रिश्तों को भी मजबूत बना सकते हैं। अगर लोग आपके काम पर और आप पर भरोसा करेंगे तो इससे आपका काफी हद तक फायदा होगा।

समझौता करना कभी कभी अच्छा होता है।

इस दुनिया में जितने तरह के लोग हैं उतनी तरह की सोच भी है। ऐसे में किसी से मतभेद होना आम बात है। हम सभी के लिए अलग अलग बाते मायने रखती हैं और हम सभी अलग तरह से सोचते हैं। तो अगर आपका किसी से मतभेद हो जाए तो आपको क्या करना चाहिए?

सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि सामने वाला क्या सोच रहा है और उसके ऐसा सोचने की वजह क्या है। इसके लिए आपको उसे सुनने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप ध्यान से उसकी बातों को सुनें तो शायद आपको उसकी बात या उसका आइडिया अपने आइडिया से ज्यादा बेहतर लगे। यह शायद आप दोनों आपस में बात कर के कोई नया और ज्यादा बेहतर आइडिया सोच सकें। लेकिन एक दूसरे से बहस करना समस्या का समाधान नहीं है।

समझौता करने के लिए आपको सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि मतभेद की वजह होती है सोच में अन्तर होना। तो अगर आप सामने वाले की आँखों से चीज़ों को देखने की कोशिश करेंगे तो आप उन्हें अच्छे से समझ पाएंगे। इसके अलावा अगर आप उसकी बात को सुनेंगे तो वह भी आपकी बात सुनेगा और समझने की कोशिश करेगा।

जब आप दोनों लोग अपने अपने विचारों को एक दूसरे के सामने रखेंगे तो आप समझ सकेंगे कि हालात के हिसाब से क्या बेहतर काम कर सकता है। इससे आपके फैसले पहले से बेहतर होंगे और आपके बीच का रिश्ता भी मजबूत होगा।

दूसरी तरफ अगर आप बहस करेंगे तो शायद उसका कोई नतीजा ना निकले। आप जबरदस्ती अपनी बात मनवाने की कोशिश करेंगे जो कि अच्छी बात नहीं है। इसके अलावा इससे आपके रिश्ते भी बिगड़ सकते हैं।

अपने कर्मचारियों को कंपनी के उसूलों के बारे में बताइए।

अगर आपकी कंपनी के कोई उसूल नहीं हैं तो आपकी कंपनी खतरे में हैं। सबसे पहले आपको अपने कर्मचारियों को अपने उसूलों के बारे में बताना होगा जिससे वे उन उसूलों के हिसाब से एक ही दिशा में काम कर सकें। लेकिन उसूलों का होना इतना जरूरी क्यों है?

जैसा कि पहले कहा गया कि आप अपने कंपनी को एक व्यक्ति समझिए। हर व्यक्तति के कुछ उसूल होते हैं जो उसके व्यवहार और उसके चरित्र के बारे में बताते हैं। उसका दिमाग और उसका शरीर उन्हीं उसूलों पर काम करते हैं। लेकिन अगर उसका कोई उसूल नहीं है तो वह एक दिशा में काम कभी नहीं कर पाएगा। उसका दिमाग उस पर हावी हो जाएगा और वो काबू से बाहर होने लगेगा।

इसलिए यह जरूरी है कि आपकी कंपनी के कुछ उसूल हों और आपके कर्मचारियों को उन उसूलों के बारे में पता हो। हर कंपनी का एक उसूल होना चाहिए- अपने कर्मचारियों के बीच अच्छे संबंध को बनाए रखना। लेकिन कभी कभी जब कंपनी के कर्मचारी आपस में एक साथ काम ना कर के कॉम्पटीशन करने लगते हैं तब वे एक साथ काम करना पसंद नहीं करते।

ऐसे में यह आपका काम है कि आप सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करें जिससे कोई अपने आप को किसी से कम ना समझे। आप अपने कर्मचारियों को उनके काम के लिए फीडबैक देते रहिए जिससे वे एक दूसरे से मिल जुलकर काम करना सीख सकें और साथ ही अपने काम को भी बेहतर बना सकें।

अगर आपके किसी कर्मचारी से कोई गलती हो जाती है तो इसके लिए डाँटिए मत। उसे अपनी गलती सुधारने का एक और आप उसे मौका दीजिए और साथ में यह बताइए कि उसे अपना काम सुधारने के लिए क्या करना चाहिए। इसके लिए आप महीने में एक बार अपने कर्मचारियों के साथ एक मीटिंग बुला सकते हैं जिसमें आप अपने अच्छे कर्मचारियों की तारीफ कर उन्हें बढ़ावा दे सकते हैं और बाकी सबको बता सकते हैं कि वे अपने काम को और बेहतर कैसे बनाएँ।

अपने कर्मचारियों को कुछ फैसले करने का अधिकार दीजिए।

ज्यादातर लोग अपने काम से खुश नहीं होते। इसलिए वे बेहतर तरीक़े से काम नहीं कर पाते और अच्छे नतीजे नहीं दे पाते। एक लीडर का काम है कि वह इस समस्या ने निपटने का काम करें। लेकिन कैसे?

सबसे पहले आपको इसकी वजह जाननी होगी कि लोग अपने काम से खुश क्यों नहीं रहते। अक्सर ऐसा होता है कि सारे फैसले लीडर के हाथ में होते हैं और कर्मचारियों को सिर्फ काम करने के लिए हुक्म दिया जाता है। इससे कर्मचारियों को लगने लगता है कि वे कोई नौकर हैं जिनसे कुछ पैसों के बदले में कोई भी काम कराया जाता है।

इसलिए आप अपने कर्मचारियों को कुछ फैसले लेने का अधिकार दीजिए। इससे उन्हें लगेगा कि उनके पास भी कुछ आजादी है और कंपनी में उनके विचारों की भी कुछ अहमियत है। जब उन्हें लगेगा कि उनकी बात का महत्व है तो वो मोटीवेट होंगे और अच्छे से काम कर सकेंगे।

आप अपने कर्मचारियों को आजादी दीजिए कि वे किसी काम को करने के लिए अपने अलग अलग तरीके अपना सकते हैं। फिर अंत में उन्हें जो तरीका अच्छा लगे वे उस तरीके से अपना काम कर सकते हैं। दूसरी तरफ अगर आप उन्हें अपने तरीके से काम करने पर मजबूर करेंगे तो उनके अन्दर की प्रेरणा खत्म हो जाएगी और वे अच्छे से काम नहीं कर पाएंगे।

इस तरह काम करने पर आपके कर्मचारी अपने अंदर की आवाज को सुन पाएंगे और अपनी क्रीएटीविटि को बाहर ला पाएंगे। अगर आप उन्हें अपने काम करने के तरीके के हिसाब से काम करने पर मजबूर करेंगे तो उनके अपने तरीके मर जाएंगे। फिर वो एक रोबोट की तरह बन जाएंगे जो सिर्फ सिखाए गए तरीकों के हिसाब से काम करेंगे और कुछ नया नहीं सोच पाएंगे।

Conclusion

अपने अंदर की आवाज पहचानना एक कला है जिसे हर कोई सीख सकता है। इसकी मदद से आप अपने अंदर की कला को बाहर ला सकते हैं। दूसरों का भरोसा जीत कर और दूसरों की बातों से उनके विचारों को समझ कर हम काफी हद तक अपना फायदा करा सकते हैं। अपने कर्मचारियों को थोड़ी आजादी और थोड़ी पावर दे। कर हम उनके अन्दर की आवाज को जगा कर अपनी कंपनी को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।

अपने कर्मचारियों को पावर दीजिए।

एक लीडर होने के नाते आपका यह फर्ज बनता है कि आप अपने कर्मचारियों को पहले से बेहतर बनने के लिए हर काम करें। इसके लिए आप उन्हें फैसले लेने का हक दीजिए। आप उन्हें बेहतर तरीके से समझने की कोशिश कीजिए जिससे आप उन्हें समझ सकें और अपनी कंपनी के लोगों के बीच अच्छे संबंध बना सकें।

तो दोस्तों आपको आज का हमारा यह The 8th Habit Book Summary in Hindi कैसा लगा ?

आपने आज क्या सीखा ?

अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताये।

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद,

Wish You All The Very Best.

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