Action लेना जरुरी क्यूँ है?

Hello दोस्तों, आज हम एक mindset के बारे में बात करेंगे जो हमारी पर्सनालिटी में निखार लाएगा। और वो है – Action Taking Mindset. आप चाहे किसी भी फील्ड में काम क्यूँ न कर रहे हो आपको आपका Action ही आगे लेके जा सकता हैं। बिना एक्शन के आप अपनी जिंदगी को सिर्फ rat race में ही पाएंगे।

अब शायद आपको rat race के बारे में पता होगा, अगर नहीं पता है तो मैं बता दूँ की ये rat race ही हमारी कम्फर्ट जोन ही होता है। जैसे आप कोई अच्छी सैलरी वाला नौकरी कर रहे हैं और आप उस नौकरी से लाइफ में satisfied नहीं तो फिर भी आप नौकरी कर रहे हैं तो यही कम्फर्ट जोन है। आप अपना बिज़नेस करना चाहते हैं लेकिन अपनी कम्फर्ट जोन को छोड़े बिना आप बिज़नेस कभी नहीं कर पाएंगे।

तो आज हम इसी mindset के बारे में बात करेंगे की आप चाहे कोई भी कम्फर्ट जोन में हो, उससे बाहर कैसे आ सकते है एक्शन लेके और अपनी satisfied लाइफ जी सकते हैं।

Action लेना जरुरी क्यूँ है?

Action इतना पावरफुल शब्द है जिसको सुनने में ही बहुत अच्छा लगता है। लेकिन एक्शन लेने में बहुत मुश्किल लगता है।

गीता में भगवान् श्री कृष्ण जी कहते हैं जो हमारे लाइफ में सबसे ज्यादा important है – “कर्म करते जाओ, फल की इच्छा मत करो।”

कर्म ही सबसे ज्यादा important धर्म है।

जब हम एक्शन की बात करते हैं तो क्या आपको पता है की सबसे बड़ा एक्शन क्या है – वो है हमारी सोच (Thinking)

हम क्या सोचते है या हमारा mindset क्या है और हमारे हैबिट्स कैसे हैं – ये सोचने में, वो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ये काम कैसे करता है – जो हम सोचते हैं चाहे छोटा या बड़ा वही हमारी डेली रूटीन बन जाता है, और जो हमारा एक डेली रूटीन बनता है वही हमारी ritual बन जाता है और जो हमारा ritual होता है उसी से हमारी जिंदगी बन जाती है।

या फिर आप कह सकते उसी ritual से हम जीते है।

हम जो भी एक्शन लेते है उसमें कोई गलत नहीं होता है। सही एक्शन या गलत एक्शन वो फर्क नहीं पड़ता है। एक्शन लेना जरुरी है। क्यूंकि एक्शन लेने वाला इंसान ब्रह्मा हो जाता है। अपनी कम्फर्ट जोन को छोड़ना और एक्शन लेना या कर्म करना यही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण धर्म है।

Action –

99% पूरी दुनिया की लोग पूरी लाइफ में कभी एक्शन लेता ही नहीं है। वो पूरी लाइफ सिर्फ सोचती ही रह जाती है की हम एक्शन लेंगे। वो कभी एक्शन नहीं ले पाती है।

उसका रीज़न ये है की एक्शन लेने के लिए आपको अपने कम्फर्ट जोन यानी आप अभी जिस स्थिति में लाइफ को जी रहे हो, मतलब जहाँ पे आप कम्फ़र्टेबल है उसको छोड़ना पड़ता है आपको।

जब आप कम्फर्ट जोन छोड़ेंगे, आप उनकंफर्टबल जोन में आ जायेंगे।

एक छोटी सी रिसर्च में कुछ नौकरी करने वाले इंसान से ये पता चला –

उनके पास पैसा बहुत है जो वो अपने बिज़नेस में लगा सकता है, उनके पास बिज़नेस प्लान भी, उसका पूरा शरीर, मन सिर्फ हर दिन बिज़नेस करने के लिए ही प्रेरित होता है। लेकिन वे अपने कम्फर्ट जोन को छोड़ ही नहीं पाते है।

और वे लोग जब किसी यंग लड़के या लड़की को अपनी कंपनी बनाता हुआ देखता है तो उनका मन अंदर से तड़पने लगता है। उनके मन में यही क्वेश्चन बार बार आता है की हम कैसे बिज़नेस करे ? कैसे एक्शन लें ?

तो अगर ऐसे लोग है इस आर्टिकल को पढ़ रहा है तो मेरा उनके लिए यही suggestion होगा की – सबसे पहले आप कल सुबह जाके रेसिग्नेशन देके आये। मतलब पहला एक्शन यही है की कम्फर्ट जोन को लात मारिये। अगर हो सकता है तो अभी लात मारिये।

हमे अपने आपको अपनी कम्फर्ट जोन से हटाना है। और उनकंफर्टबल ज़ोन्स में जाना है आपको।

लोग क्या करते है की procrastinate करते मतलब कोई भी एक्शन को वो कल पर डाल देते हैं। और वो कल कभी आता ही नहीं है। हम समय के साथ ऐसे बह जाते हैं। हमे अपनी जिंदगी का कण्ट्रोल हमे अपने हाथ में रखना चाहिए, जिंदगी के हाथ में नहीं देना है कण्ट्रोल।

मतलब हमारी जिंदगी का जो रास्ता है वो हमे खुद को ही बनाना चाहिए। क्यूंकि जिंदगी में तो खुद को ही रास्ते पर ले जाना है।

Procrastinate करने से कुछ नहीं होता, एक्शन लेना बहुत जरुरी होता है, मेहनत करना बहुत जरुरी है।

प्लानिंग जरूर important है, लेकिन प्लानिंग से ज्यादा important है – Execution.

बहुत सारे लोग है जिनके पास प्लान्स बहुत सारे है लेकिन वो Execution नहीं करते। और Execution ना करना पाप है। आप चाहे गलत Execution करिये और इसमें फेलियर मिलता है और इससे ही आप आगे आने वाले सक्सेस के लिए आप कुछ सीख सकते हैं।

“Success is Nothing but Failure Turned Inside Out.”

एक बहुत बड़े पॉलिटिकल लीडर ने कहा है – “अगर आप भाग नहीं सकते तो आप चलिए, अगर आप चल नहीं सकते तो आप एक कदम आगे बढ़ने की कोशिश कीजिये, अगर आप वो भी नहीं कर सकते तो आपकी मृत्यु हो गयी है।”

अगर आप जिन्दा है तो हर दिन थोड़ा थोड़ा करके कुछ ना कुछ एक्शन लीजिये।

एक्साम्पल – किसी को अपना वेट लॉस करना है यानी 10 किलो का वेट कम करना है तो लोग उसके लिए कीटो डाइट लेते है। और वो सोचता है हम 10 दिन के अंदर 10 किलो घटा लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं होता है। हाँ कीटो से वजन कम तो होता ही है। लेकिन फिर से आपकी वजन बढ़ जायेगा। और वो कीटो डाइट की वजह से नहीं बल्कि आपकी खुद की वजह से।

क्यूंकि आप कीटो एक बार कर लोगे और वजन भी घटा लेंगे, लेकिन उसके बाद आप फिर वापस से वही खाना खाने लग जायेंगे जो आप पहले खाते थे। इसलिए आपको इसमें एक एक्शन लेने की जरुरत है की आपको अपना हैबिट्स चेंज करने की जरुरत है।

आप अपने अंदर कंटीन्यूअस फीडबैक लेके आइये।

एक्शन का मतलब क्या है?

Action का मतलब ये है की आप अपनी प्रेजेंट हैबिट्स के अराउंड या प्रेजेंट सोच के अराउंड पहले तो आप अपना टाइम पीरियड्स डालिये।

मतलब आपको प्लानिंग सिर्फ 3 दिन ही करनी है उसके अगले दिन यानी चौथे दिन से कुछ ना कुछ एक्शन लेना जरुरी है। अगर आप एक्शन नहीं लेंगे तो आप अपने आपको जस्टिफाई नहीं कर पाएंगे, आपको समझ नहीं आएगा की क्या होने वाला है आपके साथ।

Action से क्लैरिटी आती है, चाहे वो गलत ही क्यूँ ना हो ! इससे आपको ये पता चल जाता है की सक्सेस के लिए कौन सी चीज नहीं करनी है।

किसी ने थॉमस अल्वा एडिसन (bulb के पिता जी) से पूछा की आप ये बताइये की 9999 बार ही गलत बल्ब बनाया था है ना सर ? इसमें एडिसन जी बोलते हैं – मैंने कभी गलत बल्ब नहीं बनाया था, मुझे वो 9999 तरीके आते हैं की बल्ब कैसे ना बनाया जाये। उन्होंने 10000 वी बार बल्ब का निर्माण किया।

खूब मेहनत करना, खूब कर्म करना, एक्शन लेके आना, सबसे ज्यादा important है।

ऑस्ट्रिया में प्रतियोगिता हुई, जैसे olympics में हाई जम्प होती है जिसमें 100 या उससे ज्यादा फ़ीट ऊपर जाकर वहां से पानी में कूदते हैं। अब जब वो प्रतियोगिता हुई तो ऑस्ट्रिया की कुछ 25,000 लोगों को ये कहा गया था की अगर आप 100 फ़ीट ऊपर से नीचे jump लगाएंगे तो आपको कुछ €100 euro देंगे।

तो सबके सब 25000 लोग उत्सुक हो गए। क्यूंकि फ्री मनी कौन नहीं लेना चाहेगा। €100 लेने के लिए 25000 लोगो ने अपने फॉर्म्स भरे। और अपने bathrobs पहने और ऊपर जाने के रेडी हो गए। और वो सीढ़ी पर चढ़ने लग गए जहाँ 100 फ़ीट ऊपर होने वाले pedestal से नीचे गिरना होता है।

तो 25000 लोग ऊपर चढ़ रहे हैं धीमे धीमे। लेकिन 25000 में से सिर्फ 1000 लोग ही ऊपर तक पहुँच सके। क्यूंकि जब वो पहले ऊपर चढ़ रहे होते हैं 10-12 मंजिल, तब जब हम नीचे देखते हैं तो हमे घबराहट होती है। क्यूंकि हम अपनी कम्फर्ट जोन छोड़ रहे होते हैं। तो वो 24000 लोग ऊपर पहुँच ही नहीं पाए।

ये वो 24000 लोग है जो अपनी कम्फर्ट जोन छोड़ ही नहीं सकते हैं। जो जिंदगी में कभी भी तरक्की कर नहीं पाएंगे।

और अब जब 1000 लोग ऊपर पहुँच गए उन 1000 में से सिर्फ 300 लोगों ने वो छलांग लगायी।

पता है उसकी वजह क्या है ? – उसकी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वजह ये है लोग बहुत डरते हैं। फियर ऑफ़ फेलियर ने इतने लोगों के आइडियाज को मारा है जो कोई चीज नहीं मार सकता।

एक बड़ी इम्पोर्टेन्ट बात है लोगों को दूर से देखना जैसे सचिन तेंदुलकर ने छक्का मारा, उसको दूर से देख के तालिया बजाना बड़ा ही आसान है। लेकिन सचिन तेंदुलकर की तरह छक्का मारना, उतना प्रेशर लेना 130 करोड़ लोग का बड़ा मुश्किल काम होता है।

लोग रिस्क लेने से डरते हैं। हमारी समाज हमे रिस्क लेने रोकते हैं। हमारे एजुकेशन सिस्टम, हमारे mba इंस्टिट्यूट रिस्क लेने से घबराते हैं।

वो कहते हैं आप रिस्क मत लीजिये। तभी एक्सेल शीट्स सिखाई जाती है और तभी हमारे जो mba स्टूडेंट्स है कभी भी बहुत बड़े बिज़नेस करता हुआ नहीं देखने को मिलेगा आपको। और आप देखोगे जिन लड़को पढाई भी नहीं होगी वो ज्यादा बड़े busiensses बना लेते है। और mba करने वाले उन कंपनी में काम करते हैं।

वो जो ऊपर मैंने एक्साम्पल दिया की 25000 लोगों में से सिर्फ 300 लोग वो पेडस्टल पे जाके नीचे कूद पाए।

और उसके बाद जब interviewer ने उन 300 लोगों से पूछा गया की “इतने लोग नहीं कर पाए तो आप लोग कैसे कर गए ? आप लोग कूदे कैसे, आपको डर नहीं लगा ?” उसमें उन 300 लोगो ने बहुत ही अच्छा जवाब दिया – “हम डर तो लगा, लेकिन डर तो सिर्फ 2 सेकंड का होता है, उन 2 सेकंड के डर पे काबू पाने से ही हमे €100 मिल गए हैं।”

क्या आपको पता है की पूरी दुनिया उन लोगों के कण्ट्रोल में रहते हैं जो Action लेते हैं।

अगर आप अपने फॅमिली या दोस्त से पूछोगे की मैं बिज़नेस करना चाहता हूँ। तो आपको कभी भी उनका हाँ नहीं मिलेगा। अगर आप बिज़नेस प्लान उनको दिखाते है वो कहेगा की क्या प्लान है ये, ये तो कभी नहीं चलने वाला। और अगर आप पूछोगे की मैं स्टॉक मार्किट में पैसा लगाऊं ? वो कहेगा पैसा डुबोना है क्या ! पागल हो गए हो क्या ! आप पूछोगे किसी नए स्टार्टअप पे पैसा लगाऊं, वो कहेगा कौनसे नए स्टार्टअप चलते है, सब तो फ़ैल ही होते हैं।

जिंदगी में आपके आसपास सारे नकारात्मक लोग होते हैं उनसे बच के रहिएगा। वो खुद तो कभी अपना decision या action ले नहीं पाते हैं और बाक़िओं को भी एक्शन लेने नहीं देंगे। उनके तरफ से हर संभव कोशिश करेंगे की ये एक्शन ना लें। वो कहेगा सरकारी नौकरी करो, लाइफ सिक्योर हो जायेंगे। लेकिन हर कोई तो नौकरी के लिए नहीं बना है ना !

नकारात्मक लोग हर चीज में आपको डरायेंगे, की पैसा डूब जायेगा, etc, वो आपके माता-पिता, भाई-बहन या आपके अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं। और वो सारे लोग आपके आसपास ही होते हैं। उनसे हमेशा बच के रहिये।

बस सिर्फ उन सकारात्मक एक्शन ओरिएंटेड लोगों की संगती में रहिएगा। चाहे यूट्यूब पर हो, चाहे उनके वेबसाइट पे हो, चाहे फिजिकल हो।

जिंदगी में हमेशा discipline बनाइयेगा। की अगर मुझे जिंदगी में कुछ भी करना है तो मुझे Action लेना पड़ेगा।

अगर आप छोटे से छोटा बिज़नेस चलाते हैं और आपने सोचा है की इसको बड़ा करूँगा। तो पहले अपने माइंड में पॉजिटिव एक्शन्स लेके आये। और एक्शन को लिखेंगे, मापेंगे, टाइम फ्रेम बनाइये और उसको priorities देंगे, और उसपे सक्षम होंगे।

तो सबसे पहला जो एक सक्सेसफुल लोगों का लक्षण है वो है – ACTION

कोई भी सक्सेसफुल इंसान को आप देख लो उसने एक दिन कुछ Action लिया था। आज मैं इस ब्लॉग्गिंग करियर में सफल हूँ इसीलिए क्यूंकि एक दिन मैंने इसका नाम (डोमेन) खरीदा था।

गलत एक्शन भी पॉजिटिव एक्शन होता है। ब्लॉग्गिंग करने से पहले मैंने 8 यूट्यूब चैनल खोला था, उसके बाद मोबाइल फ़ोन accessories का बिज़नेस शुरू किया, वो भी फ़ैल हो गयी, पैसा भी गया। तब मैंने सोचा एक बार ब्लॉग्गिंग को try किया जाये। तो मैंने एक्शन लिया तो आज हमारे ब्लॉग में महीने का लाखों पेज व्यूज आते हैं।

अगर मैंने कभी छोटा सा एक्शन नहीं लिया होता तो आज मैं शायद कुछ और कर रहा होता। मैंने फेलियर से कभी डरा ही नहीं। एक दिन या दो दिन बुरा लगा उसके बाद उठके फिर से नए चीजें सीखी और एक्शन लिया। मैंने तब रिस्क लिया था तब मेरा 21 साल ही हुआ था।

दोस्तों रिस्क हमेशा से आपको एक बेहतर जिंदगी देने की ताकत रखता है। अगर आपने रिस्क लेकर काम करता रहा एक दिन सक्सेसफुल जरूर होंगे। रिस्क मतलब Action.

Conclusion

हमारे पास जीवित रहना ही रिस्क होता है। कैंसर जैसी बीमारी की रिस्क, एस्ट्रोइड का रिस्क हमेशा से है, रिस्क है रोड एक्सीडेंट का, तो ऐसे में हर चीज का एक रिस्क ही होता है। हम सभी सोचते हैं नौकरी छोड़के बिज़नेस करना या कुछ नए एक्शन्स लेना ही रिस्क होता है।

इसलिए रिस्क को अपनी खून में डाल लीजिये। और एक्शन को अपने दिमाग के अंदर डाल लीजिये। बिना डरे एक्शन लीजिये। और आगे बढिये अपनी जिंदगी में।

कभी भी गलत या सही मत देखना सिर्फ एक्शन लेना। और जब आप गलत एक्शन लोगे, और उनसे सीखोगे और फाइनली आप सक्सेस हो ही जाओगे।

दोस्तों आप जो भी सोचते हैं उसको एक्शन में बदले अभी के अभी।

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